ग्वार की खेती: टॉप 3 उत्पादक किस्में और उनके फायदे, जानिए पूरी जानकारी 

saneha verma
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ग्वार की खेती: टॉप 3 उत्पादक किस्में और उनके फायदे, जानिए पूरी जानकारी 

Today Haryana :ग्वार की खेती एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो रही है, जिससे किसान बढ़ती आय का अनुभव कर रहे हैं। भारत में ग्वार की खेती उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में विशेष रूप से प्रचलित है। इस लेख में, हम ग्वार की टॉप 3 उत्पादक किस्मों के बारे में चर्चा करेंगे जो बंपर उत्पादन और अधिक मुनाफा देती हैं।

सूखारोधी और रोग रोधी किस्म – आर जी सी-1031 यह ग्वार की किस्म सूखे प्रभावित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और अंगमारी रोग और झुलसा रोग को सहन करने की क्षमता रखती है। इसकी अवधि 100-115 दिन होती है और यह 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है। इसके फूल हल्के गुलाबी रंग के होते हैं और फलियों की लंबाई मध्यम होती है।

वर्षा में अधिक उपज देनेवाली किस्म – एच जी-2-20 यह ग्वार की किस्म अच्छी बारिश के मौसम में अधिक उत्पादन देती है और अंगमारी रोग और जल गलन रोग प्रतिरोधी होती है। इसकी अवधि 90-100 दिन होती है और यह प्रति एकड़ 8 से 9 क्विंटल का उत्पादन करती है। इसके फलियां लंबी होती हैं और दाने मोटे होते हैं।

सबसे अधिक उत्पादन देनेवाली किस्म – आर जी सी-1038 यह ग्वार की सबसे अधिक उच्पादन देने वाली किस्म है और इसकी अवधि 100-110 दिन होती है। इसकी पत्तियां खुरदुरी और कटाव वाली होती हैं और इसकी उत्पादन क्षमता 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इसमें काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है और यह बहुत सारे रोगों को प्रतिरोधी होती है।

ग्वार की खेती के लिए उपयुक्त किस्म का चयन करने से किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और खेती की उपज को बढ़ा सकते हैं। इन उत्पादक किस्मों के संपूर्ण जानकारी के साथ, किसान अच्छे फसल की खेती कर सकते हैं और अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

इस लेख में ग्वार की टॉप 3 उत्पादक किस्मों के बारे में चर्चा की गई है, जो बंपर उत्पादन और अधिक मुनाफा देती हैं। यहां हमने उनकी विशेषताओं, उत्पादन क्षमता की जानकारी और फायदों के बारे में विस्तार से चर्चा की है। ग्वार की खेती करने वाले किसानों के लिए यह लेख उपयोगी हो सकता है।

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