Ias success story: देश की पहली नेत्रहीन IAS ऑफिसर, बिना कोचिंग की UPSC क्रैक, पहली बार UPSC सिविल सेवा परीक्षा में भाग लिया

saneha verma
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Ias success story: देश की पहली नेत्रहीन IAS ऑफिसर, बिना कोचिंग की UPSC क्रैक, पहली बार UPSC सिविल सेवा परीक्षा में भाग लिया

Today Haryana : भारतीय संविधान की सबसे उच्च सेवा में प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों को निरंतर मेहनत और समर्पण की आवश्यकता होती है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा, जिसे क्रैक करना सपनों की ताकत और उम्मीद की कमान होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अँधेरी रातों में रोशनी के बिना इस परीक्षा को किसी व्यक्ति ने कैसे पास किया? आज हम आपके सामने लेकर आए हैं ऐसी ही एक अद्भुत कहानी  देश की पहली नेत्रहीन IAS ऑफिसर, प्रांजल पाटिल की।

जब बात आती है असंभव को संभव बनाने की, तो प्रांजल पाटिल का नाम सबसे पहले आता है। महाराष्ट्र के उल्हासनगर में जन्मी प्रांजल को बचपन में ही अंधेरे का सामना करना पड़ा। लेकिन वह अपने सपनों को अंधेरे से उजाले में बदलने के लिए तैयार थी।

इस अनूठी कहानी का आरंभ होता है 2016 में, जब प्रांजल ने पहली बार UPSC सिविल सेवा परीक्षा में भाग लिया। वहाँ उनकी रैंक 744 रही, लेकिन ये केवल एक पहला कदम था। उन्होंने हार नहीं मानी, अपितु अपने सपनों को पूरा करने का लक्ष्य जारी रखा। दूसरे साल, उन्होंने पुनः प्रयास किया और इस बार ऑल इंडिया में 124वीं रैंक हासिल की। इस प्रकार, प्रांजल ने देश की इतिहास में अपना नाम दर्ज किया।

जब बात उनकी तैयारी की है, तो उन्होंने कभी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। उन्होंने खुद पर विश्वास किया और अपनी मेहनत और उत्साह से परीक्षा की तैयारी की। उन्होंने एक विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया, जो उन्हें किताबों को सुनने की सुविधा प्रदान करता था। अपनी अंधापन को उन्होंने अपनी सुनने की क्षमता में बदला और सफलता की राह पर अग्रसर हुए।

प्रांजल का योगदान सिर्फ उनके व्यक्तिगत सफलता से ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने एक संदेश भी दिया। उन्होंने सिद्ध किया कि समर्थन, साहस और संघर्ष से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो।

प्रांजल के प्रेरणादायक कार्य और समर्पण के बाद, 2018 में उन्हें केरल के एर्नाकुलम में सहायक कलेक्टर के पद पर नियुक्ति मिली। वहाँ उन्होंने अपनी कार्यक्षमता और समर्थन से लोगों के दिलों में जगह बनाई। वर्तमान में, उन्हें तिरुवनंतपुरम के उप-कलेक्टर के रूप में काम करते हुए केरल के प्रशासनिक मामलों में योगदान देने का मौका मिला है।

प्रांजल पाटिल की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन के हर मुश्किल को अपने साथी बना कर, हम सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं। उन्होंने अपनी अद्भुत उपलब्धियों से सिद्ध किया है कि कोई भी सपना साकार किया जा सकता है, चाहे वह कितना भी अद्भुत या विशाल क्यों न हो।

इस रोशनी की कहानी ने हमें यह दिखाया है कि अंधेरे में भी सपनों का सफर जारी है, सिर्फ हमें अपनी दृढ़ निश्चयीता और मेहनत के साथ अपने लक्ष्य की दिशा में अग्रसर रहना है।

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