IAS Success Story: अश्वथी की लगन और संघर्ष,तीन बार फेल होने के बाद भी नहीं टूटी हिम्मत, ओर बनी IAS ऑफिसर

saneha verma
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IAS Success Story: अश्वथी की लगन और संघर्ष,तीन बार फेल होने के बाद भी नहीं टूटी हिम्मत, ओर बनी IAS ऑफिसर

Today Haryana : हर साल कई लोग यूपीएससी के जरिए आईएएस और आईपीएस बनने का सपना देखते हैं। कुछ लोगों के सपने हकीकत बन जाते हैं और कुछ लोगों के सपने वैसे ही रह जाते हैं। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने सपनों को ही अपनी जिद बना लेते हैं। और जब तक उसकी इच्छा पूरी न हो जाये.

वे पूरी लगन से इसे पूरा करने में लगे रहते हैं. एस एक ऐसी ही कहानी है. अश्वथी का. अश्वथी ने यूपीएससी परीक्षा में 481वीं रैंक हासिल कर अपनी जिद को अंजाम तक पहुंचाया. जब अश्वथी आठवीं कक्षा में थीं, तब उन्होंने तय कर लिया था कि एक दिन वह आईएएस अधिकारी बनेंगी। आइए जानते हैं कौन हैं एस अश्वथी।

केरल के तिरुवनंतपुरम की रहने वाली अश्वथी के लिए आईएएस बनने की राह आसान नहीं थी। पिता दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे और माँ एक गृहिणी थीं। आमतौर पर आर्थिक स्थितियाँ शिक्षा में सबसे बड़ी बाधा बनती हैं।

लेकिन, अश्वथी ने हर तरह की स्थिति से लड़ने की ठान ली थी। आठवीं कक्षा तक पहुंचते-पहुंचते अश्वथी ने तय कर लिया था कि वह देश की सर्वोच्च सेवा यूपीएससी में जाएंगी। शायद माता-पिता को भी इस बात का एहसास हो गया था कि अश्वथी अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर है और इसीलिए परिवार भी उसके साथ खड़ा है।

यूपीएससी की तैयारी के लिए नौकरी छोड़ दी

अश्वथी का लक्ष्य यूपीएससी था, लेकिन वह अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रही थीं। तिरुवनंतपुरम के गवर्नमेंट बार्टन हिल इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उन्हें टीसीएस से नौकरी का प्रस्ताव मिला

अश्वथी जानती थी कि अगर उसे अपना यूपीएससी का सपना पूरा करना है तो सबसे पहले अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए नौकरी करना बहुत जरूरी है। उन्होंने टीसीएस में नौकरी ज्वाइन कर ली। काम करते समय भी अश्वथी की नज़र अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर थी। साल 2017 में अश्वथी ने टीसीएस की नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से यूपीएससी की तैयारी में लग गईं.

सफलता की कहानी

अश्वथी के प्रयासों और लगन ने उन्हें आईएएस अधिकारी के रूप में सफलता की ओर ले जाया। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए हर मुश्किल का सामना किया और अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की। अब वह एक आईएएस ऑफिसर के रूप में देश की सेवा में अपना योगदान दे रही हैं।

अश्वथी की इस कहानी से साबित होता है कि अगर किसी के पास संगीन इरादा हो, तो वह किसी भी मुश्किल का सामना कर सकता है और अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है। अश्वथी की इस कहानी ने लोगों को प्रेरित किया है और उन्हें यह सिखाया है कि हार नहीं मानना, बल्कि अपने लक्ष्य की दिशा में बढ़ते रहना।

यह कहानी भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो साबित करती है कि संघर्ष और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। अश्वथी ने अपने जीवन में बहुत से संघर्षों का सामना किया, लेकिन उनकी अद्भुत लगन और निरंतर प्रयासों ने उन्हें मंजिल तक पहुंचाया।

नई ऊर्जा के साथ नए सपने

अश्वथी की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में सफलता पाने के लिए सिर्फ मेहनत ही काफी नहीं होती, बल्कि इसके साथ ही एक दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास भी बहुत जरूरी होता है। अश्वथी ने इस सफलता का सफर तब तक नहीं रोका, जब तक कि वह अपने सपनों को हकीकत में नहीं बदल दिया। उनकी यह कहानी हमें नए ऊर्जा के साथ नए सपनों की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

 अश्वथी की कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सपनों को हकीकत में बदलने के लिए न केवल मेहनत और लगन, बल्कि दृढ़ संकल्प और साहस भी बहुत जरूरी होता है। उन्होंने अपनी इस अद्भुत यात्रा में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उनका संघर्ष और प्रयास उन्हें मंजिल तक पहुंचाया। अश्वथी की यह कहानी हमें सपनों को हकीकत में बदलने की ताकत और संघर्ष की महत्वपूर्ण भूमिका को समझाती है।

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