बुंदेलखंड में मूंग की खेती: 60 दिनों में बंपर उत्पादन का राज, गेंहू की कटाई के बाद, अब बुंदेलखंड के किसान अगली फसल की तैयारी में जुट गए 

saneha verma
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बुंदेलखंड में मूंग की खेती: 60 दिनों में बंपर उत्पादन का राज, गेंहू की कटाई के बाद, अब बुंदेलखंड के किसान अगली फसल की तैयारी में जुट गए 

 Today Haryana : गेंहू की कटाई के बाद, अब बुंदेलखंड के किसान अगली फसल की तैयारी में जुट गए हैं। विभिन्न फसलों के बाद, अब गरमियों में मूंग की खेती बन गई है किसानों की प्राथमिकता। मूंग की यह खेती 60 दिनों में बंपर उत्पादन देने का दावा कर रही है।

मूंग की किस्में: किसानों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद

मूंग की खेती के लिए बुंदेलखंड की जलवायु सबसे सही है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. संतोष पांडेय ने बताया कि मूंग की टॉप 5 किस्में हैं – स्टार 444, विराट गोल्ड, एमएच 1241, एमएच 424, और सम्राट। इनमें से कोई भी किस्म 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है और इसके लिए सिर्फ 2 सिंचाई की आवश्यकता होती है।

उत्पादन में वृद्धि: मूंग की खेती के फायदे

मूंग की खेती से खेत में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है, जिससे खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है। किसान को अलग से नाइट्रोजन डालने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि मूंग एक प्रकार का ग्रीन मैन्यूर के रूप में काम करता है।

एक हेक्टेयर में मूंग की खेती: उत्पादन की गारंटी

एक हेक्टेयर में 10 से 12 किलो मूंग बोने जाने पर 12 से 15 क्विंटल फसल हो जाती है। इससे बुंदेलखंड के किसानों को अच्छा मुनाफा होता है और उनका आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

 मूंग की खेती बुंदेलखंड में गर्मियों में एक उत्तम विकल्प है, जिससे किसानों को बुम्पर उत्पादन का फायदा होता है और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसके साथ ही, यह खेती खेत की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाती है और उपज को बढ़ावा देती है।

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