खरीफ सीजन में मक्का और ज्वार: सोयाबीन के विकल्प के रूप में खरीफी फसलें

saneha verma
3 Min Read

खरीफ सीजन में मक्का और ज्वार: सोयाबीन के विकल्प के रूप में खरीफी फसलें

Today Haryana : देश के किसानों के लिए अच्छी खबर! सोयाबीन की कमजोरी से परेशान किसानों को मक्का और ज्वार जैसी खरीफी फसलों में मिलेगा भरपूर लाभ। कृषि वैज्ञानिकों की नई पहल के साथ सरकार के समर्थन से यह फसलें उन्हें नए दिशा में ले जा सकती हैं।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सोयाबीन की खेती के बीज में कमजोरी के कारण किसानों को घाटा हो रहा है। इसके अलावा, सोयाबीन की बीमारियों और ज़्यादा लागत के कारण भी किसानों का इसमें रुचि कम हो रहा है। इस समस्या का समाधान करते हुए, कृषि वैज्ञानिकों और सरकार ने मक्का और ज्वार की खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।

ग्रेडिंग और मालामाली में वृद्धि: 

सोयाबीन की उपज की कमजोरी के कारण, किसानों को ग्रेडिंग में भी कमी महसूस हो रही है। इसके साथ ही, मंडियों में बिक्री के दौरान भाव में भी कमी हो रही है। इस बीच, मक्का और ज्वार की उपज में वृद्धि के साथ किसानों को मालामाली में भी बढ़ोतरी की जा रही है।

मक्का और ज्वार:  

मक्का और ज्वार की खेती करने से किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने ज्वार की नई किस्मों को विकसित किया है, जो किसानों को अधिक उपज दे सकती हैं। साथ ही, सरकार ने मक्का के समर्थन में भी महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। मक्का और ज्वार की खेती करने से पक्षियों का खतरा भी कम होता है।

एथेनॉल का उत्पादन:  

मक्का के उपयोग से एथेनॉल यानी बायोडीजल का उत्पादन हो सकता है। इससे किसानों को एक नया आय स्रोत मिलेगा और सोयाबीन की खेती से भी उन्हें अधिक लाभ होगा। एथेनॉल के प्लांट की स्थापना से कई क्षेत्रों में रोजगार का अवसर भी बढ़ेगा।

सोयाबीन की कमजोरी से परेशान किसानों के लिए मक्का और ज्वार जैसी फसलें एक नया आय स्रोत बन सकती हैं। कृषि वैज्ञानिकों और सरकार के समर्थन से इन फसलों की खेती में वृद्धि के साथ किसानों को मालामाली में भी बढ़ोतरी की जा सकती है। इससे देश की कृषि उत्पादनता में भी सुधार होगा और किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा।

Share This Article
Leave a comment