ग्वार की खेती में उन्नत किस्में: बढ़ते उत्पादन और मुनाफा, ग्वार की टॉप 3 उन्नत किस्में

saneha verma
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ग्वार की खेती में उन्नत किस्में: बढ़ते उत्पादन और मुनाफा, ग्वार की टॉप 3 उन्नत किस्में

Today Haryana : ग्वार की खेती भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प है। इसमें बढ़ते उत्पादन और मुनाफे की संभावना होती है। इस लेख में हम ग्वार की टॉप 3 उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

1. आर जी सी-1038 ग्वार की किस्में

आर जी सी-1038 ग्वार की किस्म का पकने का समय 100 से 110 दिन होता है। इसकी फूल हल्के गुलाबी रंग के होते हैं और यहां तक कि इसकी पत्तियाँ भी खुरदरी और कटाव वाली होती हैं। इसकी उत्पादन क्षमता 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। इस किस्म के दानों में प्रोटीन, गोंद, और कार्बोहाइड्रेट की अच्छी मात्रा पाई जाती है।

2. एच जी-2-20 ग्वार की किस्में

एच जी-2-20 ग्वार की किस्म वर्षा आधारित परिस्थितियों में भी अच्छी उपज देती है। इसका पकने का समय 90 से 100 दिन होता है और इसकी पैदावार क्षमता 8 से 9 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह किस्म अनेक रोगों से रोग प्रतिरोधी होती है और जीवाणु पत्ता अंगमारी, जड़ गलन, और अल्टरनेरिया अंगमारी जैसे रोगों का सामना कर सकती है।

3. आर जी सी-1031 ग्वार की किस्में

आर जी सी-1031 ग्वार की किस्म का पकने का समय 100 से 115 दिन होता है और इसकी पैदावार क्षमता 10 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। यह किस्म अंगमारी रोधक है और झुलसा रोग को सहने की क्षमता भी रखती है। इसके फूल भी हल्के गुलाबी रंग के होते हैं और इसमें सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जायद और खरीफ में बोने के लिए उपयुक्त है।

 ग्वार की उन्नत किस्मों का चयन किसानों को अधिक उत्पादक और लाभकारी फसल उत्पादन के लिए मदद कर सकता है। ये किस्में विभिन्न आयुधान, पर्यावरणीय स्थितियों और रोग प्रतिरोधकता के संदर्भ में उपयुक्त हैं। इसलिए, किसानों को अपने क्षेत्र की विशेषताओं के अनुसार उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए।

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