चीनी की कीमतों में तेजी का उछाल: टमाटर और प्याज के बाद यह नया मुद्दा

टमाटर और प्याज के बाद अब चीनी की कीमतों में भी तेजी का उछाल देखा जा रहा है, और इसका लोगों के रोज़मर्रा के खर्च पर गहरा असर हो सकता है। पिछले दो हफ्तों में, चीनी की कीमतें 3% से अधिक बढ़ गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, व्यापारिक समूहों और उद्योगिकरण के अधिकारियों ने बताया है कि देश के प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्रों में बारिश की कमी के कारण उत्पादकों को चिंता हो रही है, जिससे आने वाले सीज़न के उत्पादन में गिरावट का संकेत मिल रहा है।
नए सीज़न में चीनी उत्पादन में 3.3% की गिरावट का अनुमान है, और इसका मुख्य कारण अक्टूबर के बाद से नकेली बारिश की कमी है, जिसका असर दक्षिणी भारत के पश्चिमी राज्यों में महाराष्ट्र और कर्नाटक के गन्ने के उत्पादन पर हो सकता है, जो भारत के कुल उत्पादन का आधा हिस्सा है। यह उत्पादन 3.3% घट सकता है और 31.7 मिलियन टन तक पहुंच सकता है। इसके अलावा, मंगलवार को चीनी की कीमतें अक्टूबर 2017 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं, जो 37,760 रुपये ($454.80) प्रति टन है।
चीनी कंपनियों के शेयरों में भी वृद्धि देखी जा रही है, और यह इस बात पर आधारित है कि यदि कीमतें ऊंची रहीं तो चीनी निर्माताओं के मुनाफे में सुधार हो सकता है। चीनी मिलों को सूखे के कारण नए सीज़न में उत्पादन में गिरावट का खतरा है, और इसलिए चीनी कंपनियों के शेयर मूल्यों में स्थिरता दिख रही है।