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चंद्रयान-3 की सफलता: पॉलिटिक्स में चर्चा?

Success of Chandrayaan-3: Discussion in Politics

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चंद्रयान-3 की सफलता से जुड़ी राजनीति में उत्तरदायित्व किसे जाए - मोदी या नेहरू?

चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के साथ, न केवल वैज्ञानिकों को बल्कि राजनीतिक दलों को भी सफलता का श्रेय चाहिए था। बीजेपी और कांग्रेस के बीच यह क्रियाशील मुद्दा उभरा है कि चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे किसका योगदान बड़ा है। इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी श्रेय देने की मांग कांग्रेस के द्वारा भी उठाई गई है।

 

नेहरू का योगदान

कांग्रेस के प्रतिनिधित्व वाले द्वारा उठाए गए तर्क में यह दावा किया जा रहा है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के काल में ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में आवश्यक नींव रखी थी। वे इसरो की स्थापना की थी और उनके कार्यकाल में ही भारत ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।

 

मोदी का योगदान

बीजेपी के द्वारा चंद्रयान-3 की सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी श्रेय दिया जा रहा है। उनके माध्यम से भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनाई है और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का परिचय दिया है।

चुनावी परिस्थितियों का प्रभाव

चंद्रयान-3 की सफलता के परिप्रेक्ष्य में आने वाले मध्यप्रदेश, राजस्थान, और छत्तीसगढ़ के चुनावों का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। कांग्रेस को बीजेपी की चंद्रयान-3 की सफलता के प्रशंसापत्र के साथ समर्थन प्राप्त करने के लिए उन्हें अपने पूर्व नेताओं की उपलब्धियों का उल्लेख करने में रुचि है।

नेहरू और मोदी: सफलता की श्रेय कौन ले?

चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत की वैज्ञानिक क्षमता को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। इसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू के योगदान का महत्वपूर्ण स्थान है, जिन्होंने अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने के लिए नींव रखी थी। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत को आत्मनिर्भर और विश्वस्तरीय अंतरिक्ष शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है।

निष्कर्ष

चंद्रयान-3 की सफलता का श्रेय एक ही नेता को देना उचित नहीं होगा, बल्कि इसमें दोनों नेताओं का संयम और प्रेरणा से भरपूर योगदान है। भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में नए मील के पत्थर चुने हैं, जो न केवल वैज्ञानिक विकास की दिशा में बल्कि राजनीति में भी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

Disclaimer: यह लेख केवल राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में है और विज्ञानिक महत्व को नकारता नहीं है।