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भारत बन रहा है दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार उत्पादक देश: आगे बढ़ रहे रोजगार के मौके

सोमवार को घोषणा की है कि देश का वाहन उद्योग 2030 तक दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंचेगा।
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भारत सरकार ने सोमवार को घोषणा की है कि देश का वाहन उद्योग 2030 तक दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंचेगा। इसके साथ ही, यह सेक्टर नई नौकरियों के बढ़ते मौकों का भंडार भी बना रहेगा। ऑटो मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि वाहन उद्योग के विस्तार से न सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा, बल्कि लाखों लोगों को नौकरियों का सामान्य रूप से आवास भी मिलेगा।

वाहन उद्योग का महत्व:

भारत में वाहन उद्योग अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तंभों में से एक है। इस क्षेत्र का योगदान अब बढ़कर लगभग 7.1 प्रतिशत हो गया है, जो 1992-93 में 2.77 प्रतिशत था। यह सेक्टर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 1.9 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है।*

प्रोत्साहन योजनाएं:

वाहन और गाड़ियों के निर्माण क्षेत्र में सरकार द्वारा प्रोत्साहन योजनाएं लागू की जा रही हैं, जैसे कि 25,938 करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई)। इन योजनाओं से वाहन उद्योग को विकसित करने में मदद मिल रही है और नई नौकरियों का संवर्धन हो रहा है।*

पीएलआई की समीक्षा:

भारी उद्योग मंत्रालय ने पीएलआई योजना के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए एक सम्मेलन का आयोजन किया है, जिसमें संबंधित पक्षों के साथ बैठक की अध्यक्षता मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय करेंगे। इसमें पीएलआई योजना के माध्यम से उपलब्ध अवसरों को समझने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और चुनौतियों का समाधान किया जाएगा।*

पंजीकरण की तारीख:

इस संदर्भ में, 58 कंपनियों ने आईटी हार्डवेयर के लिए सरकार की 17,000 करोड़ रुपये की उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए पंजीकरण कराया है। यह योजना लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पीसी, सर्वर, और अल्ट्रा-स्मॉल फॉर्म फैक्टर जैसे आईटी हार्डवेयर के निर्माण को प्रोत्साहित कर रही है। यह प्रमुख उद्योग क्षेत्र में और नए रोजगार के अवसर उत्पन्न कर रहा है।*

इस तरह, भारत ने अपने वाहन उद्योग को आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है, और युवाओं को रोजगार के साथ-साथ विकास के मौके भी प्रदान किए हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ोतरी मिलेगी और भारत को दुनिया के वाहन उत्पादकों के रूप में मजबूत पहचान मिलेगी।