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Chandrayaan-3 Update: चांद पर मौजूद गड्ढे और खाई व ऊबड़-खाबड़ जमीन से कैसे निपटेगा चंद्रयान-3? यहां देखें पूरी जानकारी

Chandrayaan-3 Update: How will Chandrayaan-3 deal with the pits and ditches and bumpy ground on the moon? See full details here
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चांद पर मौजूद गड्ढे और खाई व ऊबड़-खाबड़ जमीन से कैसे  निपटेगा चंद्रयान-3?

Chandrayaan-3 Update: चांद पर मौजूद गड्ढे और खाई व ऊबड़-खाबड़ जमीन से कैसे  निपटेगा चंद्रयान-3? यहां देखें पूरी जानकारी 

Today Haryana, नई दिल्ली: चंद्रयान-3, भारत के उल्लेखनीय चंद्रमा मिशन की आखिरी मुद्दत में है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का प्रयास करेगा। इस मिशन से भारत दुनिया में पहला देश बन सकता है जो चंद्रमा के इस चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। इस लेख में, हम चंद्रयान-3 मिशन की चुनौतियों और योजना के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे।
 
चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है, जो कि एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस भागीरथीय प्रयास के साथ, भारत एक नया मील क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकता है। चन्द्रमा के इस क्षेत्र में सतह कठिन होने के साथ ही अज्ञात स्थितियों की चुनौतियाँ भी होती हैं।
 
खाई और गड्ढे: चंद्रयान-3 के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती यह है कि चंद्रमा की सतह पर खाई और गड्ढे अनेकत्र हैं। इन खाई और गड्ढों से बचकर सॉफ्ट लैंडिंग करना आवश्यक है।

ऊबड़-खाबड़ जमीन: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऊबड़-खाबड़ जमीन का मामूल उपस्थित होना एक बड़ी चुनौती है। इस प्रकार के भूमि पर सॉफ्ट लैंडिंग करना संवेदनशील कार्य हो सकता है।

वातावरणीय और तापमान: चंद्रमा के इस हिस्से का तापमान माइनस 200 डिग्री तक चल सकता है, जिससे सॉफ्ट लैंडिंग करना और भी कठिन होता है।
 
चंद्रयान-3 मिशन की योजना में यह समाहित किया गया है कि रोवर पहले विक्रम लैंडर से बाहर निकलेगा, और फिर विशेष तकनीक का उपयोग करके सतह की जांच करेगा। रोवर अहम जानकारी जुटाने के बाद उसे धरती पर भेजा जाएगा।
 
चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए भारत की महाकाव्यिक प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन चुनौतियों से भरपूर है, लेकिन इसकी सफलता से भारत दुनिया में एक नया चरण प्राप्त कर सकता है। चंद्रयान-3 के लैंडिंग के परिणाम से यह साबित हो सकता है कि भारत विज्ञान और अंतरिक्ष क्षेत्र में कितना आगे बढ़ सकता है।