Aditya L1: आदित्य-एल1 की सफल लॉन्चिंग, लैग्रेंजियन-1 बिंदु तक पहुंचने में लग जाएंगे इतने दिन

Aditya L1: आदित्य-एल1 की सफल लॉन्चिंग, लैग्रेंजियन-1 बिंदु तक पहुंचने में लग जाएंगे इतने दिन
Today Haryana : नई दिल्ली, 4 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद, भारत ने अपने पहले सूर्य मिशन 'आदित्य-एल1' को सफलतापूर्वक प्रक्षिप्त किया है। इस मिशन का महत्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने बड़े महत्वपूर्ण बताया है। यह मिशन भारत को सूर्य के अध्ययन के क्षेत्र में एक नया मिलकर कदम बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा।
आदित्य-एल1 मिशन का महत्व
आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य है सूर्य के अध्ययन को धरती से लेकर 'लैग्रेंजियन-1' बिंदु तक पहुंचना है। इसका मतलब है कि यह मिशन धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य के पास पहुंचने का प्रयास करेगा और वहां सूर्य की विभिन्न प्रकार की जानकारी जुटाएगा।
विशेषज्ञों की राय
जी. माधवन नायर ने इस मिशन के महत्व को बताते हुए कहा, "विभिन्न घटनाओं को समझने के लिए सौर सतह का अध्ययन करना बहुत महत्वपूर्ण है जो हमारी स्थानीय मौसम स्थितियों को तुरंत प्रभावित करते हैं। जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में सौर विकिरण की दीर्घकालिक परिवर्तनशीलता भी एक बहुत महत्वपूर्ण कारक है।"
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान
आदित्य-एल1 मिशन के सफल प्रक्षिप्ति पर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, "यह भारत के लिए एक सुखद क्षण है। आदित्य-एल1 का सफल प्रक्षिप्ति संपूर्ण विज्ञान और संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण का भी प्रमाण है जिसे हमने अपनी कार्य संस्कृति में अपनाने की कोशिश की है।"
इसरो की मेहनत और सफलता
ISRO के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इस मिशन की सफलता पर गर्व किया और कहा, "आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को इच्छित कक्षा में स्थापित किया गया है। मैं आदित्य-एल1 को सही कक्षा में स्थापित करने के लिए पीएसएलवी को बधाई देना चाहता हूं।"
आदित्य-एल1 की परियोजना निदेशक निगार शाजी ने कहा, "यह एक सपने के सच होने जैसा है। एक बार जब आदित्य-एल1 कमिशन हो जाएगा, तो यह देश और वैश्विक वैज्ञानिक बिरादरी के लिए एक बड़ी कामयाबी होगी।"
कांग्रेस का समर्थन
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इस मिशन की सफलता का समर्थन किया और इसकी ऐतिहासिक परिष्ठभूमि का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री की बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मिशन की सफलता के मौके पर बधाई दी और कहा, "हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। इसरो को भी भारत के पहले सौर मिशन आदित्य -एल1 के सफल प्रक्षिप्ति के लिए बधाई।"
आगे की योजना
आदित्य-एल1 मिशन का तीसरा चरण अब पूरा हो चुका है और इस मिशन से मिलने वाले डेटा से हम वायुमंडल में होने वाली विभिन्न घटनाओं, जलवायु परिवर्तन अध्ययन आदि को समझ सकते हैं। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने इस मिशन के महत्व को बताते हुए कहा, "आदित्य-एल1 को लैग्रेंजियन पॉइंट 1 के आसपास रखा जाएगा, जहां पृथ्वी और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल लगभग शून्य हो जाता है और न्यूनतम ईंधन के साथ, हम वहां अंतरिक्ष यान बनाए रख सकते हैं।"
आदित्य-एल1 मिशन के सफल प्रक्षिप्ति ने भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर रखा है। यह मिशन सूर्य के अध्ययन में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा और जलवायु परिवर्तन के लिए एक लचीलापन योजना तैयार करने में मदद करेगा।
इसरो ने अपने प्रतिबद्ध वैज्ञानिकों और अभियंताओं के साथ इस महत्वपूर्ण मिशन को सफलता से पूरा किया है, जिससे भारत की अंतरिक्ष यात्रा को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने का संकेत मिलता है।
आदित्य-एल1 मिशन के सफल प्रक्षिप्ति के साथ, भारत ने अपने वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष अनुसंधान में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी नया साक्षरता दिखाया है।