एक कदम और आगे बढ़ा आदित्य एल 1, सफलतापूर्वक बदली कक्षा चार बार और बढ़ाई जाएगी परिक्रमा परिधि

एक कदम और आगे बढ़ा आदित्य एल 1, सफलतापूर्वक बदली कक्षा चार बार और बढ़ाई जाएगी परिक्रमा परिधि
नई दिल्ली। सूर्य के अध्ययन के लिए शनिवार को भेजे गए भारत के अंतरिक्ष यान आदित्य एल का पहला पृथ्वी बद्ध कक्षा परिवर्तन रविवार को सफलता से किया गया। इस प्रक्रिया के बाद अब आदित्य की ओर से की जा रही पृथ्वी की परिक्रमा की परिधि 235 गुणा 19,500 किमी से बढ़कर 245 गुणा 22, 459 किमी हो गई है। इसरो ने बताया, अगला कक्षा परिवर्तन मंगलवार को तीन बजे होगा।
इसरो ने यह भी कहा कि इस समय मिशन बिलकुल ठीक काम कर रहा है और सकुशल है। प्रक्षेपण के करीब एक घंटे बाद ही शनिवार दोपहर करीब एक बजे इसने अपनी निर्धारित कक्षा हासिल कर ली थी। अब एक दिन बाद ही यह कक्षा बढ़ा दी गई है। इसरो के अनुसार, मिशन अभी चार बार और पृथ्वी की
मिशन की परिक्रमा परिधि 235 गुणा 19,500 किमी से बढ़कर 245 गुणा 22,459 किमी हुई
परिक्रमा परिधि बढ़ाएगा। इसके लिए यान का मार्ग परिवर्तन किया जाता है, जिसे ऑर्बिटल मनूवर कहा जाता है।
गुरुत्वाकर्षण से निकलने के लिए जरूरी
ऑर्बिटल मनूवर के लिए यान में लगी प्रोपल्शन प्रणाली उपयोग की जाती है, जो परिक्रमा परिधि को बढ़ाने या घटाने में काम आती है। आदित्य एल के लिए परिधि बढ़ाई जा रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि 16 दिन पृथ्वी की परिक्रमाएं करने के बाद यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बंधी अपनी कक्षा छोड़ लग्रांज बिंदु की ओर बढ़ जाएगा।
क्रूज फेज के दौरान लगेंगे 110 दिन इस यात्रा को क्रूज फेज कहा जाएगा, जिसमें करीब 110 दिन लगेंगे। 127 दिन में भारत का आदित्य एल लग्रांज बिंदु पर स्थापित कर दिया जाएगा। यह अपने साथ 7 उपकरण ले जा रहा है, जो लाखों डिग्री सेल्सियस तापमान सहित उसके चुंबकीय क्षेत्र, प्लाज्मा, विकिरणों व ऊर्जा के उत्सर्जन के रहस्य खोलेंगे।