प्रदेश में 6:50 लाख से ज्यादा मिलेंगे बिजली कनेक्शन, ट्यूबवेल कनेक्शन को लेकर किसानों को राहत की तैयारी,

ट्यूबवेल कनेक्शन को लेकर किसानों को राहत की तैयारी, प्रदेश में 6:50 लाख से ज्यादा मिलेंगे बिजली कनेक्शन
Today Haryana: दक्षिण और उत्तरी हरियाणा में किसानों के लिए नए नियम - ट्यूबवेल कनेक्शन को लेकर बदलाव की तैयारी
हरियाणा बिजली वितरण निगम डार्क जोन के मामलों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और किसानों को राहत देने की तैयारी में है। इसके अलावा, सोलर ट्यूबवेल कनेक्शन को लेकर भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। यहां हम इस बदलाव के बारे में विस्तार से जानेंगे.
किसानों की मुश्किलों का समाधान
हरियाणा बिजली वितरण निगम ने डार्क जोन में किसानों के समस्याओं का समाधान खोजने का निर्णय लिया है। जहां पर 10 हॉर्स पावर की मोटर काम नहीं कर रही है, वहां नियमों में बदलाव की तैयारी की जा रही है। यह नियमों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों का संकेत देता है जो किसानों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करेंगे।
बिजली कनेक्शन में सुधार
हरियाणा बिजली वितरण निगम के यूटिलिटी अध्यक्ष पीके दास ने इस समस्या को हल करने के लिए नई दिशा में कदम उठाया है। उन्होंने बताया कि दक्षिण और उत्तरी हरियाणा में कई जगहों पर 10 हॉर्स पावर की मोटर काम नहीं कर रही है, और उनकी टीम इस समस्या का अध्ययन कर रही है। इसके बाद, उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाया है कि किसानों को बिजली कनेक्शन में सुधार कर बेहतर सेवा मिल सके।
सोलर ट्यूबवेल कनेक्शन को बेहतर बनाने की योजना
हरियाणा बिजली वितरण निगम के क्षेत्र में सोलर ट्यूबवेल कनेक्शन को लेकर भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। जहां सोलर ट्यूबवेल कनेक्शन कामयाब नहीं हो रहे हैं, वहां उन्हें ज्यादा हॉर्स पावर की मोटर इस्तेमाल करने की छूट देने की तैयारी है। इससे किसानों को सोलर ऊर्जा का अधिक उपयोग करने का अवसर मिलेगा और उनकी बिजली खपत कम होगी।
नियमों में बदलाव की तैयारी
विधानसभा के मानसून सत्र में इस मुद्दे को उठाया गया था और अब इस पर कदम उठाया जा रहा है। किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए नियमों में बदलाव की तैयारी हो रही है, जिससे किसानों को बिजली कनेक्शन और सोलर ट्यूबवेल कनेक्शन में आसानी होगी।
हरियाणा बिजली वितरण निगम के इन प्रयासों से, डार्क जोन में किसानों को बेहतर बिजली सेवाएं मिलेंगी और सोलर ऊर्जा का अधिक उपयोग होगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और स्थानीय विकास को भी प्रोत्साहित किया जा सकेगा।