हरियाणा में बनेंगे 7400 स्मार्ट क्लासरूप, 4035 बनकर तैयार, गरीब परिवार के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा
7400 smart classrooms will be built in Haryana, 4035 are ready, free education to children of poor families.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा के गरीब बच्चों के उत्थान के लिए एक बहुत ही बड़ी खुशखबरी थी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के राजक ीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालयों के 7400 क्लासरूम में से 4035 स्मार्ट क्लासरूम बन चुके हैं, बकाया क्लासरूम्स को इस वर्ष स्मार्ट क्लासरूम में बदला जाएगा। वे विशेष चर्चा कार्यक्रम के दौरान चंडीगढ़ से ऑनलाइन माध्यम से राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालयों में पढऩे वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि हर विद्यार्थी की सीखने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए इन विद्यालयों में शिक्षण के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इन विद्यालयों की दीवारों को ऐसे सजाया गया है, जिससे दीवारों पर शिक्षण सामग्री पेन्ट करवाकर शैक्षणिक वातावरण का निर्माण हुआ है। इससे विद्यार्थी देखकर, पढ़कर तथा पेन्सिल के माध्यम से सीख सकते हैं। पूरे भवन को ही सहायक सामग्री में बदल दिया गया है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत हम प्रदेश में ऐसे शिक्षण संस्थान तैयार कर रहे हैं, जिनमें नन्हे बच्चे की के.जी. कक्षा से युवा विद्यार्थी की पी.जी. कक्षा तक की शिक्षा प्रदान की जाएगी। इस प्रकार एक ही छत के नीचे सम्पूर्ण शिक्षा मिलेगी। प्रदेश में चार विश्वविद्यालयों भगत फूल सिंह कन्या विश्वविद्यालय, खानपुर कलांए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में के.जी. से पी.जी. स्कीम के तहत दाखिले किए गए हैं।
2017 से शुरू किए मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय खोलने
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस अवसर पर कहा कि हमने गरीब से गरीब परिवार के बच्चों को प्राथमिक स्तर से ही उच्चकोटि की शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रदेश में राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय खोलने की प्रक्रिया 2017 में शुरू की थी। उस समय राज्य के 119 खंडों में से हर एक खंड में एक राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय, बैग फ्री स्कूल खोला गया था। शिक्षा प्रदान करने की दिशा में इन विद्यालयों की सफलता को देखते हुए स्कूल प्रबंधन समितियों के सदस्यों, पंचायतों, शिक्षाविदों व जनप्रतिनिधियों द्वारा और मॉडल संस्कृति विद्यालय खोलने की मांग उठने लगी। हमने उनकी मांग पर इन विद्यालयों का विस्तार किया और आज इनकी संख्या बढ़कर 1419 हो गई है। इन विद्यालयों में 3 लाख से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यह इस बात को साबित करता है कि ये विद्यालय इस समय प्राइवेट विद्यालयों के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
बच्चा क्या बने, बच्चा स्वयं निर्णय लें
मुख्यमंत्री ने अभिभावकों से आह्वान किया कि बच्चा जिस क्षेत्र में निपुण है, उसी में आगे बढऩे के लिए प्रेरित करें। आगे चलकर बच्चा क्या बने, इसका निर्णय उसे स्वयं लेने दे। उसका कैरियर बनाने में अपना पूर्ण सहयोग दें। बच्चों की पसंद व अभिरुचियों को निखारने में मदद करें। बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए थ्री.एस यानी कि स्टडी, स्पोट्र्स व स्कीन के समय में संतुलन बनायें। इसके साथ ही वह खेल के लिए भी समय निकाले एमोबाइल फोन व इंटरनेट के आने से बच्चे पर जरू रत से ज्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं, उनकी इस आदत पर अंकुश लगाएं। उन्होंने बच्चों के मां-बाप को महाराज शिवाजी जैसे महापुरुषों की प्रेरणादायक कहानी सुनाने के लिए प्रेरित किया। बच्चों को मिल रही फ्री शिक्षा मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन विद्यार्थियों के अभिभावकों की वार्षिक आय 1 लाख 80 हजार रुपये तक है, उनके लिए मॉडल संस्कृति स्कूलों में शिक्षा नि:शुल्क है। इन विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे 65 प्रतिशत विद्यार्थी गरीब परिवारों के हैं। हमने ऐसे परिवारों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भी शिक्षा दिलवाने के लिए चिराग-योजना चलाई है। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के विद्यार्थियों का दाखिला कक्षा 2 से 12वीं तक करवाया जाता है। इन बच्चों की फ ीस सरकार भरती है। इसके तहत अब तक 2474 बच्चों का मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करवाया गया है। इन विद्यालयों में पहली से दूसरी कक्षा के बच्चों पर पढ़ाई के दबाव को कम करने के लिए उन्हें कोई होम वर्क नहीं दिया जाता। इन विद्यालयों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी व हिन्दी दोनों ही रखा गया है। जो बच्चे अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए हर कक्षा में कम से कम एक सेक्शन का माध्यम अंग्रेजी है। बच्चों की शिक्षा की बुनियाद प्राथमिक स्तर पर मजबूत की जा सकती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस पर बल दिया गया है ।
किताबी शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का कथन है कि श्विद्यालयों में किताबी ज्ञान के साथ-साथ संस्कार युक्त नैतिक शिक्षा ही राष्ट्र निर्माण का मुख्य आधार है। उनकी इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए हरियाणा सरकार ने राज्य में राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूलों की स्थापना की है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे प्रण लें कि वे अपने बच्चों को भरपूर प्यार, देखभाल और वर्तमान समय की जरूरत के अनुसार शिक्षा दिलवाएंगे। इसके लिए सरकार हर कदम पर उनके साथ खड़ी है। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल, मौलिक शिक्षा विभाग के निदेशक आर.एस. ढिल्लों भी उपस्थित थे।