todayharyana

हरियाणा का एक ऐसा राजनीतिक गांव जो आज भी दूषित व गंदा पानी पीने पर है मजबूर, ये है बड़ी वजह

Such a political village of Haryana, which is still forced to drink contaminated and dirty water, this is the main reason
 | 
village jamal

जमाल के जलघर की टंकी पर चढ़े दो ग्रामीणों का चौथा दिन

पिछले 2 दिन से ग्रामीणों की सुध लेने कोई कर्मचारी या नहीं अधिकारी नहीं पहुंचा गांव

ग्रामीणों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त

मजबूरन खरीद कर पी रहे हैं जमाल के ग्रामीण दूषित और गंदा पानी

Today Haryana, Sirsa,चौपटा। चौपटा खंड के बड़े गांव में सुमार  जमाल के ग्रामीण पीने का पानी खरीद कर पी रहे हैं। पीने के पानी किल्लत और सिंचाई पानी की कमी झेल रहे 2 ग्रामीण रोष स्वरूप गांव जमाल के जलघर की टंकी पर  चार दिन से चढ़े हुए हैं। अन्य ग्रामीण जलघर प्रांगण में धरना दे रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और जिला प्रशासन की बेरुखी स्पष्ट तौर से दिखाई दे रही है। क्योंकि पिछले दो दिन से सरकार, प्रशासन और सिंचाई विभाग की तरफ से किसी भी अधिकारी या कर्मचारी ने ग्रामीणों की सुध नहीं ली है। 

गांव जमाल में कुत्तियाना माइनर, जमाल माइनर और मंगाला खरीफ चैनल का पानी नहीं पहुंचने के कारण ग्रामीणों को पेयजल और सिंचाई के पानी के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिला पार्षद नन्दलाल बैनीवाल, सरपंच प्रतिनिधि ओमप्रकाश डूडी, विजय बैनीवाल, रामजीलाल सिहाग, जगदीश बांदर, देवीलाल खीचड़, विक्रम शर्मा, जगतपाल बेनीवाल, कृष्ण बेनीवाल, नरशी बेनीवाल, रणजीत बेनीवाल ने बताया कि 4 दिन पहले ग्रामीणों ने एक बैठक आयोजित कर सरकार की आंखें कौशल खोलने का फैसला किया । 

गांव के दो युवा अशोक कुमार और विकास कुमार रोष स्वरूप 150 फीट ऊंची टंकी पर चढ़ गए उनके समर्थन में गांव के सैकड़ो ग्रामीणों ने जल घर प्रांगण में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि 2 दिन पहले सिंचाई विभाग के एक्सईएन ने आकर समस्या समाधान के लिए ग्रामीणों के साथ बैठक की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला पिछले 2 दिन से सरकार प्रशासन और सिंचाई विभाग की तरफ से कोई भी अधिकारी या कर्मचारी ग्रामीणों की सुध लेने नहीं आया। इसको लेकर ग्रामीणों में रोष व्याप्त है और वीरवार सुबह ग्रामीणों ने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है जिसमें कोई बड़ा फैसला लेने का संकेत है।

ग्रामीण खरीद कर पी रहे हैं पानी

उन्होंने बताया कि पिछले 1 महीने से नेहरू के अंतिम छोर पर पूरा पानी नहीं पहुंचने के कारण जहां एक और फसलें सूख रही है वहीं जल घर में पीने के पानी की समस्या विकराल बनी हुई है। गांव से जल घर से पीने के पानी की सप्लाई नाममात्र होती है। जरूरत का पानी पीने के लिए ग्रामीण टैंकरों से पानी  गिरवा रहे हैं। जो कि टैंकर चालक एक टैंकर का 500 से 700 रुपए वसूल कर रहे हैं। और वह भी नहरों या रजवाहो से गंदा पानी उठाया जाता है जिससे गांव में जलजनित बीमारियां फैलने का भी डर बना हुआ है।