Haryana Sarkar Scheme: हरियाणा में गाय रखने वाले इन पशुपालकों को मिलेंगे 20 हजार रुपये, जानें क्या है योजना और कैसे मिलेगा फायदा?

Haryana Sarkar Scheme: These cattle owners who keep cows in Haryana will get 20 thousand rupees, know what is the scheme and how will they get the benefit?
हरियाणा में अब पशुपालकों की’साहीवाल और हरयाणा’ नस्ल की गाय टेस्ट ट्यूब तकनीक (एंब्रीयो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी) के जरिए बछड़े या बछड़ी को जन्म देंगी। यही नहीं पशुपालक को बछड़ा या बछड़ी के जन्म के बाद 10 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी और गाय से पैदा होने वाले बछड़ा-बछड़ी पर भी पशुपालक का ही अधिकार होगा। खर्च को हरियाणा पशुपालन विभाग वहन करेगा। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरूआत में प्रदेश के 100 गांवों को कवर करने का निर्णय लिया है। सकारात्मक नतीजे मिलने पर योजना को विस्तार दिया जाएगा।
कम दूध देने वाली गाय को किया जाएगा कवर
पशुपालन विभाग ने योजना के तहत 100 गांवों में उन गाय को कवर करने का निर्णय लिया है। जिनका दूध समय के साथ-साथ कम हो चुका है, लेकिन वह शारीरिक रूप से तंदरूस्त हैं। इसके लिए विभाग ऐसी गाय को रखने वाले पशुपालकों से संपर्क साधेगा। पशुपालक के तैयार होने पर गाय को समय आने पर टेस्ट ट्यूब तकनीक से गर्भधारण करवाया जाएगा। विभाग इन गाय के अंदर अच्छी नस्ल और अधिक दूध देने वाले पशुओं के तैयार एंब्रीयो को छोड़ देगा। जिससे गाय गर्भधारण कर लेगी।
सारा खर्च वहन करेगा विभाग
हरियाणा पशुपालन विभाग के महानिदेशक डॉ. बीएस लोरा का कहना है कि यदि कोई भी पशुपालक बाजार से गाय के लिए इस तकनीक को हासिल करता है तो पशुपालक का कम से कम 25 से 30 हजार रुपये खर्च आएगा। मगर पशुपालक के तैयार होने पर इस सारे खर्च को पशुपालन विभाग वहन करेगा। बाद में गाय द्वारा बछड़ा-बछड़ी को जन्म देने के बाद पशु किसान को 10 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यही नहीं बछड़ा या बछड़ी भी पशुपालक की हो जाएगी। जिन गांवों में इस तकनीक को लेकर मास्टर प्लान बनाया गया है, उनमें हिसार, भिवानी, नारनौल और सिरसा सहित अन्य जिलों की गाय को कवर किया जाएगा।
10 से 11 दिन के अंश से गाय का करवाएंगे गर्भाधान
एंब्रीयो ट्रांसफर टेक्नॉलोजी के तहत विभाग गाय के अंडे और बुल के सीमन से एक अंश को तैयार करेगा। फिर 10 से 11 दिन के अंश से पशुपालक की गाय का गर्भाधान करवाया जाएगा। यह सारी प्रक्रिया एंब्रीयो ट्रांसफर टेक्नॉलोजी के तहत पूरी की जाएगी। हिसार की लुवास यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ इस तकनीक को छह से सात गाय पर प्रयोग भी कर चुके हैं, जो काफी कारगर रही हैं। इस एंब्रीयो को लुवास यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार किया जाएगा और फिर जरूरत के मुताबिक पशुपालन विभाग को बिना किसी खर्च के उपलब्ध करवाया जाएगा