Crime News; लड़के ने मेरी बेटी का अश्लील वीडियो बनाया:पति वीडियो डिलीट कराने गए, तो मेरी आंखों के सामने कर दिया यह कांड

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एक लड़के ने मेरी बेटी का अश्लील वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। मेरे पति उसके घर वालों से मिन्नतें कर रह थे कि वह वीडियो डिलीट कर दे। बेटी की इज्जत का सवाल है। बदनामी हो रही है, लेकिन उन लोगों ने मेरी आंखों के सामने ही धारदार हथियार से पति का गला रेत दिया। फिर सात-आठ लोग उन्हें लाठी-डंडे से पीटने लगे।
पति को बचाने के लिए मैं उनके ऊपर लेट गई। बेटा भी हमारे ऊपर लेट गया, लेकिन वे लोग नहीं रुके। लगातार पीटते रहे। मौके पर ही पति की मौत हो गई। मेरा हाथ टूट गया। बेटा अस्पताल में भर्ती है।
मैं मंजूला बेन वाघेला, गुजरात के नडियाद जिले की रहने वाली हूं। पति मैलाराम वाघेला BSF में हवलदार थे। उनका मेहसाणा से बाड़मेर तबादला हुआ था। दो जनवरी को ड्यूटी पर जाने वाले थे। उससे पहले इन लोगों ने हमेशा के लिए पति छीन लिया। हंसता-खेलता हमारा परिवार उजाड़ दिया।
कुछ रोज पहले की बात है। मेरा बेटा नवदीप अहमदाबाद में एक शादी में गया था। वहां उसके दोस्त छिपकर मोबाइल में कुछ देख रहे थे। नवदीप ने उनसे कहा कि मुझे भी दिखाओ, क्या देख रहे हो तुम लोग। पहले तो उसके दोस्तों ने मना किया, लेकिन बहुत जिद करने पर कहने लगे कि ऐसी बात है कि तुम देख नहीं पाओगे।
तुम्हारी बहन का एक गंदा वीडियो वायरल हो रहा है। हम नहीं चाहते तुम देखो। नवदीप ने कहा कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता। वो कोई और लड़की होगी। उसने दोस्त से मोबाइल छीन लिया और वीडियो देखने लगा। उसके होश उड़ गए। वीडियो में नवदीप की बहन यानी मेरी बेटी ही थी।
नवदीप उसी समय शादी से निकल गया। रात में घर आया और चुपचाप सो गया। सुबह उठने के बाद मुझे कहा कि तुम्हारी बेटी ने कारनामा किया है। घिन आ रही है उससे। मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कह रहा है। फिर मोबाइल में वीडियो दिखाया। मैं तो उसे देखकर सदमे में चली गई।
उस दिन पति सुबह ही बाजार चले गए थे। जब घर लौटे तो दबे पांव कमरे के अंदर आए और हमारे हाथ से मोबाइल छीन लिया। शायद उन्हें भी कुछ भनक लग गई थी। जब उन्होंने वीडियो देखा, तो वे पूरा वीडियो नहीं देख पाए।
वे घर से बाहर आकर आंगन में कुर्सी पर बैठ गए। लगातार नीचे जमीन की तरफ देख रहे थे। उनका सिर नहीं उठ रहा था। उनकी आंखों में आंसू थे। कई बार मैंने उन्हें आवाज दिया, लेकिन वो नहीं हटे। उसी तरह घंटों बैठे रहे।
मुझे समझ नहीं आ रहा था क्या करूं। इससे पहले कभी उन्हें इस हाल में नहीं देखा। मैंने उनसे खाने के लिए पूछा, चाय के लिए पूछा, लेकिन पूरे दिन उन्होंने कुछ नहीं खाया। किसी से कुछ बात भी नहीं की। घर के बाकी लोग भी बिना खाए ही रहे।
इसके बाद पति से कहा कि हमें पुलिस के पास जाकर केस कराना चाहिए। पति ने कहा कि अभी ऐसा करना ठीक नहीं होगा। उल्टे हमारी बदनामी हो जाएगी। वे कहने लगे कि पहले हमें उस लड़के से बात करनी चाहिए। उसे समझाना चाहिए कि उसने ठीक नहीं किया है। वह वीडियो डिलीट कर दे।
वो लड़का बेटी के स्कूल में ही पढ़ता था। अगले दिन हम लड़के के घर पहुंचे। उसका घर खुला था। घर में एक महिला थी। बाकी कोई नहीं था। हमने काफी देर तक लड़के का इंतजार किया, लेकिन वह नहीं आया। हम वापस घर लौट आए।
दूसरे दिन हम फिर से उस लड़के के घर गए। इस बार उसके पिता मिले। हमने कहा कि आपके बेटा से मिलना है। उसने हमारी बेटी के साथ ऐसा-ऐसा किया है। उससे कहिए वह वीडियो सोशल मीडिया से हटा दे। बेटी की इज्जत का सवाल है।
उन्होंने कुछ खास ध्यान नहीं दिया। हमारी बात अनसुनी कर दी और कहा कि बेटा नहीं है घर पर। हमने बहुत रिक्वेस्ट की, लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ। हम फिर से वापस घर लौट आए।
तीसरे दिन 24 दिसंबर को मैं पति के साथ खेत में काम करके घर आई। नहाने-धोने के बाद पति ने कहा कि चलो लड़के के घर चलते हैं। मैंने कहा कि अब रहने दीजिए, जो हुआ सो हुआ। रोज-रोज वहां जाना ठीक नहीं है, क्योंकि मुझे किसी अनहोनी का अंदेशा था, लेकिन वे नहीं माने। जिद पकड़ ली कि उसके घर जाना ही है।
मैं, पति और बेटा नवदीप लड़के के घर पहुंचे। वह लड़का उस दिन भी घर पर नहीं था, लेकिन उसका पूरा परिवार था। हम 15-20 मिनट तक सबके सामने खड़े रहे। पति ने कहा कि अपने बेटे को बुला लिजिए। हम तीसरे दिन आए हैं। रोज-रोज आना अच्छा नहीं लगता है।
इतना बोलकर जैसे ही हम उनके कमरे से निकले, एक साथ सात-आठ लोगों ने हमें घेर लिया। किसी ने उनकी गर्दन पकड़ी तो किसी ने कमर। फिर दनादन चाकू से उनकी गर्दन पर वार करने लगे। उनका गला काट दिया। वे उसी पल जमीन पर गिर पड़े। खूब खून गिर रहा था।
उसके बाद वे लोग लाठी-डंडे से पति को पीटने लगे। पति को बचाने के लिए मैं उनके ऊपर लेट गई। इसके बाद बेटा भी हमारे ऊपर लेट गया। वे लोग तो हैवान थे। लगातार लाठी-डंडे मार रहे थे। मेरा हाथ टूट गया। पैर जख्मी हो गया। बेहोश हो गई।
कुछ देर बाद जब आंख खुली तो देखा कि पति लहूलुहान लेटे हैं। दूसरी तरफ बेटा बेहोश पड़ा है। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। मैंने पति की नाक पर हाथ रखा तो पता चला कि उनकी सांस बंद है। नाड़ी देखी तो वह भी नहीं चल रही थी। मैं समझ गई कि अब पति की जान जा चुकी है।
मैंने उनकी जेब से मोबाइल निकाला। भतीजे महेश को फोन किया। महेश ने बड़े बेटे को खबर दी। वे लोग डॉक्टर लेकर आए। चेक करने के बाद डॉक्टर ने कहा कि अब ये जिंदा नहीं हैं। फिर भी वे लोग हम तीनों को लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे।
वहां भी डॉक्टर ने पति को मरा घोषित कर दिया। बेटे को चोट ज्यादा आई थी। उसे अहमदाबाद रेफर कर दिया।
पति का अंतिम संस्कार करने के बाद बड़ा बेटा और रिश्तेदार पुलिस के पास गए, लेकिन पुलिस FIR नहीं लिख रही थी। उनका कहना था कि वीडियो वायरल होने का मामला बाद में देखेंगे। पहले हत्या का मामला देखेंगे, लेकिन BSF ने हमारी मदद की।
BSF ने कहा कि जिस वीडियो से मैलाराम वाघेला की जान गई, उसका मामला पहले देखना है। इसके बाद पुलिस हरकत में आई और 29 दिसंबर को उस लड़के को गिरफ्तार किया गया। मैंने सुना है कि पति की हत्या करने वाले भी गिरफ्तार हुए हैं, लेकिन मुझे इंसाफ चाहिए।
मेरा तो अब सब कुछ चला गया। पता नहीं बेटी का क्या होगा। घर का अकेला कमाने वाला चला गया। मैं चाहती हूं कि उन हैवानों को ऐसी सजा मिले कि फिर कभी कोई किसी बेटी के साथ ऐसा नहीं करे। उसके बाप के साथ ऐसा नहीं कर सके।
सात साल की थी तब शादी हुई थी। पांच साल बाद ससुराल गई। तब मुझे यह भी नहीं पता था कि शादी क्या होती है। पहली बार जब पति मुझे लेने घर आए तो मेरी सहेलियों ने कहा कि मंजू तुम्हारे पति आए हैं। मैंने उनसे कहा कि ये झूठ है। ये पति नहीं हैं, क्योंकि मैंने उन्हें इससे पहले नहीं देखा था। शादी में भी नहीं।
ससुराल पहुंचने के बाद मैंने पति से पूछा कि आप क्या करते हो, कहां रहते हो? तब उन्होंने मुझे बताया कि वे फौजी हैं। BSF में नौकरी करते हैं। करीब एक हफ्ते तक वे साथ रहे फिर ड्यूटी करने चले गए। मैं ससुराल में ही रह गई।
वे दो-तीन महीने पर छुट्टी लेकर घर आते थे। हफ्ते-दस दिन घर रहते थे, फिर अपनी ड्यूटी पर चले जाते थे। उन्होंने मेरा इतना ध्यान रखा, इतना प्यार किया कि मुझे कभी अपने घर की याद नहीं आई। ससुराल की होकर ही रह गई।
मेरी उम्र बहुत नहीं थी, लेकिन कोशिश करती थी कि पति का खूब सपोर्ट करूं। खेत में पानी देती, आलू लगाती, बाजरा काटती, घास काटती, घर का काम करती। गाय-भैंस की देखभाल करती। इसी तरह हंसी-खुशी वक्त गुजरता रहा।
कई सालों तक हमारा बच्चा नहीं हुआ। मन काफी परेशान रहता था। इसके बाद पति ने वैष्णो देवी के यहां मन्नत मांगी। करीब 10 साल बाद हमारा पहला बेटा हुआ। पति ने अपनी बटालियन में पार्टी दी। बड़े-बड़े ऑफिसर भी आए थे।
जब फोन नहीं था तो वे चिट्ठी लिखते थे। उसमें एक-एक चीज बताते थे कि वे कहां जाते हैं, क्या करते हैं। कब खाते हैं। मुझे हमेशा उनकी चिट्ठी का इंतजार रहता था। मैं भी उन्हें चिट्ठी लिखती थी।
जब फोन का दौर शुरू हुआ, तब तो ये हाल हो गया कि एक दिन भी उनका फोन नहीं आए तो बेचैन हो जाती थी। उनका भी हाल वैसा ही था। अगर मेरा फोन नहीं लगता या मैं फोन नहीं उठाती तो वे गांव में किसी के यहां फोन कर देते थे कि घर जाकर देखो मंजू को कुछ हुआ तो नहीं है।
समय बीतता रहा। एक-एक कर चार बच्चे हुए। बेटी तीसरे नंबर पर थी। बेटी तो उनका गुरूर थी। कोई उसे कुछ कह देता था तो वे गुस्सा हो जाते थे। कहते थे कि जो करना है कर लो, लेकिन मेरी बेटी को कुछ मत बोलो। मेरी बेटी ही सब कुछ है।
वे बेटी को आईएएस, आईपीएस बनाना चाहते थे। वो पानी-पुरी के लिए 50 रुपए मांगती तो उसे वे 200 रुपए दे देते थे। फिर पूछते भी नहीं थे कि वो बाकी पैसे का क्या कर रही है। इस बार उन्होंने बेटी से कहा था कि दसवीं में अच्छे मार्क्स लाओ तो तुम्हें स्कूटी और एक लाख रुपए वाला फोन दिलाऊंगा।
उनके एक सरदार साहब हैं। उनकी बेटी की कुछ दिन पहले धूम-दाम से शादी हुई थी। पति ने उनसे पूछा कि साहब बेटी की शादी में कितने पैसे खर्च किए। उन्होंने बताया कि 20 से 25 लाख रुपए। पति ने मुझसे कहा कि मुझे भी बेटी की ऐसी ही शादी करनी है। वे बहुत पहले से बेटी की शादी के लिए पैसे बचा रहे थे।
इस बार जब घर आए थे तो कह रहे थे कि बस चार-पांच साल और नौकरी करूंगा। उसके बाद कुछ नया काम करूंगा। घर पर रहूंगा। तुम्हारे साथ वक्त गुजारना है। मैं भी काफी खुश थी, पर पता नहीं मैंने क्या बिगाड़ा कि मेरी खुशियां छीन गईं।