हिमाचल प्रदेश व दिल्ली एमसीडी में नहीं चली मोदी की जादूगरी: गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी का इंद्रजाल

Today Haryana, Sirsa
सिरसा। हरियाणा प्रदेश व्यापार मंच के प्रदेशाध्यक्ष एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जिला प्रधान लाला ज्योति प्रकाश गुप्ता ने एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा कि हाल में गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी का इंद्रजाल अपेक्षानुसार चला, क्यों कि इस चुनाव में मोदी की प्रतिष्ठा का प्रश्न था। इसलिए राजनीति के सभी साम-दाम-दंड-भेद के साथ पूरे सत्तातंत्र का प्रयोग किया गया। यहां तक कि प्रशासकीय लापरवाही के चलते गुजरात के मोरबी में नदी के पुल के ढ़हने से सैंकड़ों निर्दोष लोगों की बेमौत जल समाधि होने तथा बिल्किश बानों के साथ गैंगरेप और उसके परिवार के सात लोगों की निर्मम हत्या के घोर अपराधियों को चुनाव पूर्व उनकी सजा अवधि से पहले मुक्त करने के बहुचर्चित मुद्दे भी पीछे छूट गए।
तदुपरांत भी मोदी का वर्चस्व कायम रहा। जैसा कि लोगों में आम प्रचार रहा कि ‘भाजपा/आर.एस.एस. माइनस मोदी बराबर है शून्यÓ। क्या भला राजनीतिक शतरंज में पहले बड़े मोहरे को बचाना बनता है।
गुप्ता ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश के चुनाव में पीएम मोदी का 56 इंच का सीना सिकुड़ गया, जब कि वहां डबल इंजन की सरकार होते हुए भी इस पर्वतीय क्षेत्र में मोदी की बाजीगरी नहीं चली। फलत: वहां भाजपा टांय-टांय फिस हो गई। गुप्ता ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में दम भरने वाली केंद्र में सतारूढ़ भाजपा का दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के कर्मयोगी अरविंद केजरीवाल के सामने 15 साल का तिलिस्म टूट गया, जैसे कि दीपक तले अंधेरा छा जाता है।
उन्होंने कहा कि हालिया पांच राज्यों (उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओडीशा और बिहार) के उप-चुनाव में प्रबुद्ध मतदाताओं ने जनादेश के माध्यम से दिग्गज नेताओं को आईना दिखाने का काम किया है और उनका चातुर्य नहीं चलने दिया। पूरे देश के ताने-बाने में विविधता (जाति, धर्म, वर्ग, भाषा, क्षेत्रीयता) की जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसी अनेकता में एकता है, जो कि सफल लोकतंत्र की झलक हमारे देश के संविधान से प्रतिबिंबित होती है।
अब हमारे दिग्गज नेताओं को समझना होगा कि सभी लोग सिर्फ चाय ही नहीं पीते, वे दूध व कॉफी भी पीते हैं। इसके अलावा दाल, रोटी, चावल के साथ-साथ वे इडली-डोसा भी खाते हैं। सभी लोगों को बेजान ईंटों की तरह एक सांचे में नहीं ढाल सकते, वे महात्मा गांधी की व्यक्तिगत आजादी की हामी भरते हैं। अत: दिग्गज नेताओं को सार्वभौमिक होने का मिथ्या भ्रम निकाल देना चाहिए और इस ऐतिहासिक सच्चाई को याद रखना चाहिए कि ब्रिटिश साम्राज्य का कभी न अस्त होने वाला सूर्य अस्त हो गया और साम्यवादी संयुक्त सोवियत रूस भी खंडित हो गया।