प्याज की टॉप 5 उन्नत वेरायटी : जो देती है 500 क्विंटल तक पैदावार, बम्पर उत्पादन के लिए आवश्यक जानकारी

प्याज की टॉप 5 उन्नत वेरायटी : जो देती है 500 क्विंटल तक पैदावार, बम्पर उत्पादन के लिए आवश्यक जानकारी
Today Haryana: प्याज किसानों के लिए मुनाफा की दिशा में एक महत्वपूर्ण फसल है। इसकी विभिन्न किस्में उच्च उत्पादन और उत्कृष्ट गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। यहाँ पर हम आपको प्याज की 5 सबसे उन्नत किस्मों के बारे में बता रहे हैं जो उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ बेहतर मुनाफा भी प्रदान करती हैं।
1. पूसा रेड
रंग: लाल
पैदावार: 200 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
प्याज का वजन: 70 से 80 ग्राम
पकने का समय: 120-125 दिन
पूसा रेड प्याज की उन्नत किस्मों में से एक है जिसका रंग लाल होता है। इसकी पैदावार भी उच्च होती है और फसल का समय भी संक्रांति के पश्चात् आता है, जिससे खेतीकर मुनाफा कमा सकते हैं।
2. पूसा व्हाईट फ्लैट
रंग: सफेद
पैदावार: 325 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
प्याज का वजन: वैरिएबल
पकने का समय: 125-130 दिन
यह किस्म सफेद प्याज की है जिसकी पैदावार भी उच्च होती है। इसकी खेती भी संक्रांति के बाद की जा सकती है और इसका भंडारण भी अच्छा होता है।
3. अर्ली ग्रेनो
रंग: पीला
पैदावार: 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
प्याज का वजन: वैरिएबल
पकने का समय: 115-120 दिन
इस प्याज किस्म का रंग हल्का पीला होता है और इसका उपयोग सलाद में ज्यादा होता है। उच्च पैदावार के साथ-साथ, यह खेतीकरों को अच्छा मुनाफा दिलाती है।
4. पूसा रतनार
रंग: गहरे लाल
पैदावार: 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
प्याज का वजन: वैरिएबल
पकने का समय: 125 दिन
यह किस्म गहरे लाल रंग वाली होती है और इसकी पैदावार भी उच्च होती है। इसका स्वाद तीखा नहीं होता और यह खेती से बेहतर मुनाफा प्रदान कर सकती है।
5. हिसार-2
रंग: गहरे लाल और भूरे
पैदावार: 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
प्याज का वजन: वैरिएबल
पकने का समय: 175 दिन
यह किस्म गहरे रंग की प्याज प्रदान करती है और इसका स्वाद तीखा नहीं होता। इसकी खेती से भी उच्च मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।
इन प्याज किस्मों की खेती करके किसान उच्च उत्पादन और मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। उन्हें सही खेती तकनीकों का पालन करने से इन किस्मों से बेहतर प्राप्ति हो सकती है।
नोट: उपरोक्त जानकारी केवल सामान्य दिशानिर्देश के रूप में प्रस्तुत की गई है। किसानों को सम्बंधित पेड़-पौधों के विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।