बासमती चावल पर सरकारी प्रतिबंध का कारण और किसानों की मांग
Reason for government ban on Basmati rice and demand of farmers

प्रतिबंध का कारण
सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का कारण न्यूनतम निर्यात कीमतों को सीमित करना है। इसका मतलब है कि बासमती चावल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक मूल्य पर नहीं बेचा जा सकेगा। इस से मुख्य भूमिका बड़े चावल उत्पादकों और मिल मालिकों की हो रही है, क्योंकि वे बासमती चावल को सस्ते दामों पर खरीद सकते हैं और फिर उसे विश्व बाजार में महंगे दामों पर बेच सकते हैं।
किसानों की मांग
किसानों का तर्क है कि बासमती चावल गरीबों का मुख्य भोजन नहीं है और इसलिए इस प्रतिबंध का कोई योग्यता नहीं है। उनका कहना है कि यह प्रतिबंध केवल बड़े व्यापारियों और चावल मिल मालिकों को फायदा पहुँचा रहा है।
किसान सत्यवान सहरावत ने अपनी बात में यह बताया कि वे बासमती चावल की कई किस्मों की खेती करते हैं और उनकी उपज को बेचने के लिए महंगे दामों की आवश्यकता है। वे उसका उल्लेख करते हैं कि निर्यात पर प्रतिबंध लगने से उनकी मांग कमजोर हो रही है और इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर भारी असर पड़ सकता है।
किसानों की चिंता
किसानों की चिंता है कि अगले कुछ हफ्तों में उनकी उपज को खरीदने के लिए मांग कम हो सकती है, क्योंकि सरकार ने निर्यात कीमतों पर सीमा लगा दी है। इससे वे डरते हैं कि उनकी उपज को कोई खरीदेगा नहीं और वे खुद अपनी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
किसानों को यह भी चिंता है कि यदि उनकी उपज को नहीं खरीदा जाता है, तो उन्हें अगले सीजन के लिए उपज की बुआई को रोकना पड़ सकता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो सकती है।