मानसून में बढ़ती बारिश से बढ़ता ग्वार में सफेद मक्खी और अंगमारी का खतरा

मानसून में बढ़ती बारिश से बढ़ता ग्वार में सफेद मक्खी और अंगमारी का खतरा
Today Haryana: मानसून के महीनों में अधिक बारिश का प्रकोप न केवल पौधों की बढ़ती हरियाली को बढ़ावा देता है, बल्कि यह खेती में कई खतरों को भी साथ लाता है। ग्वार की फसल पर मानसून के अधिक बारिश से सफेद मक्खी और अंगमारी की बढ़ती संभावना होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि इस समस्या से कैसे निपटा जा सकता है और ग्वार की फसल को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
ग्वार के संक्रमित होने के कारण:
जीवाणु अंगमारी रोग की शुरुआती अवस्था में पत्तों का पीला होना और बाद में काली होना होता है। बारिश के कारण अधिक नमी और आर्द्रता की वजह से पत्तों का ज्यादातर हिस्सा काला हो जाता है। इससे पैदावार में कमी होती है और किसानों को नुकसान होता है।
ग्वार की रोकथाम:
इस समस्या को दूर करने के लिए ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बीडी यादव के अनुसार, 30 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और 400 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करना उपयुक्त होता है। यह रोग के प्रकोप को कम करने में मदद कर सकता है।
हरा तेला और सफेद कीड़ों का प्रकोप:
अधिक बारिश के साथ हरा तेला और सफेद कीड़ों का प्रकोप भी बढ़ सकता है। इसकी रोकथाम के लिए 200 मिली लीटर मैलाथियोन-50 ईसी या डाइमेथोएट रोगोर 30 ईसी प्रति एकड़ उपरोक्त घोल में मिलाकर प्रतिवर्षी छिड़काव करना उपयुक्त हो सकता है।
सुझाव और सावधानियां:
विशेषज्ञों के अनुसार, दवाइयों की खरीदारी करते समय पक्का बिल और बैच नंबर की जांच करना महत्वपूर्ण है। दवाओं की समाप्ति तिथि को ध्यान से देखकर ही खरीदारी करना चाहिए।
मानसून में अधिक बारिश के कारण ग्वार की फसल पर सफेद मक्खी और अंगमारी का प्रकोप बढ़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार सबसे पहले सफेद मक्खी और अंगमारी के प्रकोप की रोकथाम करनी चाहिए। इसके लिए उपयुक्त दवाइयों का इस्तेमाल करें और सावधानियां बरतें।
उपयुक्त दवाएँ और मात्रा:
बीमारी दवा मात्रा
जीवाणु अंगमारी स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 30 ग्राम
कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 400 ग्राम
हरा तेला और सफेद मैलाथियोन-50 ईसी 200 मिली
कीड़ों का प्रकोप या डाइमेथोएट रोगोर
मानसून में बढ़ती बारिश के साथ ग्वार की फसल पर आने वाले सफेद मक्खी और अंगमारी के प्रकोप से निपटने के लिए उपयुक्त दवाइयों का सही इस्तेमाल करें। सावधानियां बरतना और विशेषज्ञों के सुझावों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।