बासमती चावल की खेती में किसानों की लापरवाही देश के लिए नुकसानदायक कैसे?
How is the negligence of farmers in the cultivation of basmati rice harmful for the country?
Aug 17, 2023, 10:14 IST
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बासमती चावल की खेती में किसानों की लापरवाही देश के लिए नुकसानदायक कैसे?
Today Haryana : नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने हाल ही में बासमती चावल के अलावा अन्य किस्मों के कच्चे चावलों के निर्यात पर बैन लगाया है। इसका मतलब है कि अब देश चावल की अन्य किस्मों का निर्यात नहीं करेगा। यह निर्णय विशेष रूप से अमेरिका और यूरोपीय यूनियन जैसे देशों के मांग के कारण लिया गया है। इस संदर्भ में, बासमती की खेती में किसानों की सतर्कता और जागरूकता बेहद महत्वपूर्ण है।
कीटनाशकों के बिना, खेती में उत्तम उपज हासिल करना मुश्किल हो सकता है, खासकर जब रोगों और कीटों का प्रकोप होता है। बासमती चावल की खेती में भी यही स्थिति हो सकती है। किसानों को यह सुनिश्चित करने के लिए की आवश्यकता है कि कीटनाशकों का सावधानीपूर्वक और उचित तरीके से प्रयोग किया जाए, ताकि उनके उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहे और उनके अंतरराष्ट्रीय निर्यात में कोई दिक्कत ना आए।
बासमती चावल की खेती में कीटनाशकों का बजाय, किसान जैविक खेती के प्रयोग की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। जैविक खेती उन्हें अधिक सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके से फसल उत्पादन करने का माध्यम प्रदान कर सकती है। जैविक खेती में उर्वरकों का उपयोग कम होता है और प्रदूषण की संभावना भी कम होती है।
किसानों को उन्नत जागरूकता प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे जानें कि कैसे सही तरीके से कीटनाशकों का प्रयोग करें, उनकी मात्रा को संयंत्रित रखें, और जैविक खेती के फायदे का उपयोग करें।
बासमती चावल की खेती में किसानों की लापरवाही असरकारी हो सकती है, खासकर जब विशेष रूप से कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया जाता है। यह देश के बासमती चावल के अंतरराष्ट्रीय निर्यात पर बुरा असर डाल सकता है। जैविक खेती के प्रयोग से किसान अधिक सतत और सुरक्षित उत्पादन कर सकते हैं और साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रति भी अपने योगदान को दे सकते हैं। उन्नत जागरूकता के साथ, एक समृद्धि से भरपूर भविष्य बनाना संभव है।
Today Haryana : नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने हाल ही में बासमती चावल के अलावा अन्य किस्मों के कच्चे चावलों के निर्यात पर बैन लगाया है। इसका मतलब है कि अब देश चावल की अन्य किस्मों का निर्यात नहीं करेगा। यह निर्णय विशेष रूप से अमेरिका और यूरोपीय यूनियन जैसे देशों के मांग के कारण लिया गया है। इस संदर्भ में, बासमती की खेती में किसानों की सतर्कता और जागरूकता बेहद महत्वपूर्ण है।
कीटनाशकों के बिना, खेती में उत्तम उपज हासिल करना मुश्किल हो सकता है, खासकर जब रोगों और कीटों का प्रकोप होता है। बासमती चावल की खेती में भी यही स्थिति हो सकती है। किसानों को यह सुनिश्चित करने के लिए की आवश्यकता है कि कीटनाशकों का सावधानीपूर्वक और उचित तरीके से प्रयोग किया जाए, ताकि उनके उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहे और उनके अंतरराष्ट्रीय निर्यात में कोई दिक्कत ना आए।
बासमती चावल की खेती में कीटनाशकों का बजाय, किसान जैविक खेती के प्रयोग की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। जैविक खेती उन्हें अधिक सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके से फसल उत्पादन करने का माध्यम प्रदान कर सकती है। जैविक खेती में उर्वरकों का उपयोग कम होता है और प्रदूषण की संभावना भी कम होती है।
किसानों को उन्नत जागरूकता प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे जानें कि कैसे सही तरीके से कीटनाशकों का प्रयोग करें, उनकी मात्रा को संयंत्रित रखें, और जैविक खेती के फायदे का उपयोग करें।
बासमती चावल की खेती में किसानों की लापरवाही असरकारी हो सकती है, खासकर जब विशेष रूप से कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया जाता है। यह देश के बासमती चावल के अंतरराष्ट्रीय निर्यात पर बुरा असर डाल सकता है। जैविक खेती के प्रयोग से किसान अधिक सतत और सुरक्षित उत्पादन कर सकते हैं और साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रति भी अपने योगदान को दे सकते हैं। उन्नत जागरूकता के साथ, एक समृद्धि से भरपूर भविष्य बनाना संभव है।