किसानों की चिंता: 8 माह से किसानों के घर पड़ा है नरमा, इंतजार इस बार भी आएगा 14000 हजार का भाव

किसानों की चिंता: 8 माह से किसानों के घर पड़ा है नरमा, इंतजार इस बार भी आएगा 14000 हजार का भाव
Today Haryana: किसानों के लिए आठ महीने से खतरे की घंटी बज चुकी है। पिछले साल के मुकाबले इस साल कपास की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे किसान चिंतित हैं। उनकी उम्मीद थी कि कम से कम 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिलेगा, लेकिन यह उम्मीद टूट चुकी है। इसके परिणामस्वरूप, किसानों ने अपने घरों में कपास का भंडारण कर लिया है।
दामों में गिरावट और उम्मीदों की टूटने का कारण
पिछले साल कपास की कीमतें 14 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंची थीं, लेकिन इस बार दामों में गिरावट हो गई है। इससे किसानों के मनोबल में गिरावट आ रही है। उम्मीद थी कि वणी में कपास की खरीदी होगी, लेकिन यह भी बंद कर दी गई है। इसके परिणामस्वरूप, हिंगनघाट बाजार समिति ने कपास की खरीदी बंद करने का फैसला किया है।
किसानों के सामने उठे सवाल
इस स्थिति में किसानों के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं। वे अपने घरों में पड़े कपास का क्या करें? सोयाबीन के सूखे से उनकी समस्या और बढ़ गई है। तहसील में कपास की खेती होने के बावजूद उत्पादन में लागत मुश्किल हो रही है, जिसके चलते किसानों ने कपास की बुआई को भी बढ़ा दिया है।
आगामी चुनावों की उम्मीद
किसानों की उम्मीद है कि आगामी चुनावों से पहले कपास की कीमतें बढ़ेंगी। वे आशा कर रहे हैं कि अक्टूबर महीने में कपास की मंदी खत्म हो जाएगी और दामों में सुधार होगा। हालांकि, इस समय कपास की बाजार में बिक्री बंद कर दी गई है, जो किसानों के लिए एक और समस्या बन गई है।
किसानों के लिए यह समय कठिन है, क्योंकि उनकी उम्मीदें टूट गई हैं और दामों में गिरावट हो रही है। उन्हें सरकार से सहायता की उम्मीद है ताकि वे इस मुश्किल समय में अपने परिवार का पेट भर सकें और आगामी चुनावों से पहले स्थिति में सुधार हो।