किसानों ने खेती में नाइट्रोजन उत्पादन का नया द्वार खोला, इस तरकीब से होंगे मालामाल, शुरु की इस फसल की खेती

किसानों ने खेती में नाइट्रोजन उत्पादन का नया द्वार खोला, इस तरकीब से होंगे मालामाल, शुरु की इस फसल की खेती
Today Haryana: पश्चिम राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के किसान अब खेतों में नाइट्रोजन की खेती कर रहे हैं, जो एक नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। इस नई प्रयास के तहत, बाड़मेर के किसान अब हरी खाद का उपयोग नित नये तरीकों से कर रहे हैं। इस अनोखे कदम के साथ, वे मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाने के साथ-साथ अधिक उत्पादन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग और मिट्टी की उर्वरकता
लगातार बढ़ते रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरकता कम हो रही है, इसलिए किसान अब इस समस्या का समाधान पेश कर रहे हैं। नाइट्रोजन की खेती के तहत, उन्होंने यूरिया की बजाय हरी खाद का प्रयोग करने का निर्णय लिया है। इसका मुख्य फायदा यह है कि हरी खाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ावा देती है, जिससे मिट्टी अधिक पोषण संचित कर सकती है।
नाइट्रोजन खेती का महत्व
नाइट्रोजन खेती का उपयोग किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ढैंचा के पौधों में नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया होता है, जो मिट्टी से नाइट्रोजन को अवशोषित करते हैं और इसे पौधों तक पहुँचाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, खेतों में उत्पादन में वृद्धि होती है, जो किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करती है।
नाइट्रोजन खेती का प्रयोग बाड़मेर के किसानों द्वारा एक सफल प्रयास के रूप में किया जा रहा है, जो मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ावा देता है और उत्पादन को बढ़ावा देता है। नाइट्रोजन खेती का उपयोग करके, किसान अच्छे उत्पादन के साथ-साथ मिट्टी की स्वास्थ्य को भी सुनिश्चित कर सकते हैं।