धान की इस वेरायटी को 1 बार नहीं बल्कि 2 बार काटो, 140 दिनों में मिलेगी डबल पैदावार, जानें अनूठे फायदे और विशेषताएँ

धान की इस वेरायटी को 1 बार नहीं बल्कि 2 बार काटो, 140 दिनों में मिलेगी डबल पैदावार, जानें अनूठे फायदे और विशेषताएँ
Today Haryana, नई दिल्ली: बिहार के पूर्वी चंपारण के किसान प्रयागदेव सिंह द्वारा की जाने वाली एक विशेष चावल की किस्म है, जिसका स्वाद अनोखा होता है। यह चावल जीरे के समान पतला होता है और अच्छी तरह उगाया जा सकता है। इसके पौधों की बुआई के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे यह चावल का एक अनूठा विकल्प बन जाता है।
लाल चावल की विशेषताएँ:
विशेषता विवरण
पहली कटाई 110 दिनों में
दूसरी कटाई 140 दिनों में (कम प्रति एकड़ उपज)
उपज प्रति कट्ठा 40 किलोग्राम (पहली कटाई) और 25% कम (दूसरी कटाई)
सेहत के लिए फायदेमंद हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं, भरपूर एंटीऑक्सीडेंट
विभिन्न किस्में भी उपलब्ध हरा, काला, जादुई, अंबे मोहर
लाल चावल की खेती:
लाल चावल की पहली कटाई 110 दिनों में होती है, और इसमें प्रति कट्ठा 40 किलोग्राम की उपज होती है। इसके बाद, इसे 30 दिनों में दूसरी बार काटा जा सकता है, लेकिन इसकी उपज प्रति एकड़ 25% कम होती है। इससे किसानों को दोगुनी पैदावार का आनंद मिलता है।
सेहत के लिए फायदेमंद:
लाल चावल न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं। इसके सेवन से हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं और यह कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।
चावल की अन्य किस्में:
पूर्वी चंपारण में लाल चावल के साथ-साथ धान की अन्य स्थानीय किस्मों जैसे 'हरा', 'काला', 'मैजिक' और 'अम्बे मोहर' की भी खेती की जाती है। इनमें से कुछ को ठंडे पानी में तैयार किया जा सकता है और विभिन्न आवश्यकताओं के आधार पर उपयोग किया जा सकता है।
लाल चावल न केवल एक अनोखा स्वाद अनुभव प्रदान करता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। पूर्वी चंपारण के किसान भी इस अनूठी चावल की खेती से अच्छे आर्थिक लाभ के साथ अपने क्षेत्र को बेहतर बना रहे हैं। इससे हम देख सकते हैं कि भारतीय किसानों के पास खेती के नए और अनूठे अवसर हैं जो उन्हें सफलता की ओर ले जा सकते हैं।