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बाजरे की आवक शुरू और किसानों की आर्थिक परेशानियाँ, , किसानों को प्रति क्विंटल 700 रूपए तक घाटा

The arrival of Bajra started and the economic problems of the farmers, the loss of farmers up to Rs.
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किसानों को प्रति क्विंटल 700 रूपए तक घाटा

 बाजरे की आवक शुरू और किसानों की आर्थिक परेशानियाँ, , किसानों को प्रति क्विंटल 700 रूपए तक घाटा

Today Haryana: हरियाणा की मंडियों में बाजरे की आवक ने किसानों को चुनौती दी है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की अभावी स्थिति ने उनकी आर्थिक परेशानियों को और भी बढ़ा दिया है। इसका असर सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति पर ही नहीं बल्कि खाद्य सुरक्षा पर भी पड़ रहा है। इस संदर्भ में जानिए कैसे बाजरे की आवक और न्यूनतम समर्थन मूल्य की चुनौती किसानों को प्रभावित कर रही है।
 
दक्षिण हरियाणा के महेन्द्रगढ़-नारनौल मंडियों में बाजरे की आवक ने कटाई-कढ़ाई के काम की रफ्तार को तेजी दी है। किसान अब अपनी फसलों को मंडी में ले जा रहे हैं, लेकिन सरकारी खरीद अभी तक शुरू नहीं हुई है। इसके परिणामस्वरूप, किसानों को बाजरे को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर बेचनी पड़ रही है।
 
वर्ष 2023-24 में सरकार ने बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन मंडियों में बाजरे की खरीद अभी तक शुरू नहीं हुई है। किसानों को इसके परिणामस्वरूप बाजरे को 700 रुपये प्रति क्विंटल तक कम कीमत पर बेचनी पड़ रही है, जिससे उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।

किसानों की आर्थिक परेशानियाँ और नुकसान
किसानों का कहना है कि बाजरे की फसल में रोग और अच्छी बारिश की अभावित होने की वजह से उन्हें कई नुकसानों का सामना करना पड़ रहा है। जिले में बाजरे की फसल में 20 प्रतिशत तक की नुकसानी रिपोर्ट की गई है।
 
बाजरे की आवक और न्यूनतम समर्थन मूल्य की चुनौती ने हरियाणा के किसानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। सरकार से जल्द से जल्द सरकारी खरीद की शुरुआत की अपेक्षा की जा रही है ताकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बेचने की स्थिति से राहत मिल सके। इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी।