सफेद सोने के बाद अब पीले सोने पर नेक ब्लास्ट, खत्म होने के कगार पर मुच्छल बासमती की फसल,स्प्रे करके बचाने में जुटे किसान
After white gold, now neck blast on yellow gold, Muchhal Basmati crop on the verge of extinction, farmers trying to save it by spraying

टूडे हरियाणा: धान की खेती करने वाले किसानों को अब थोड़ा सचेत रहने की जरूरत है। क्योंकि जिस प्रकार से मौसम का प्रभाव दिख रहा है, उस हिसाब से फ सलों में बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है। पहले किसानों के सफेद सोने में गुलाबी सुंडी व बरसात ने कहर बरपाया। जिससे किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। इसके पश्चात अब धान, मुच्छल के किसानों के लिए बीमारी दुश्मन बन गई है। पिछले कई दिनों से मौसम में बदलाव काफी चल रहा है और बीमारियों का भी प्रक ोप फसलों पर बना हुआ है। सफेद सोना यानि नरमें की फसल को गुलाबी सूंडी ने समाप्त कर दिया है। अगर क्षेत्र का आंकलन किया जाए तो 70 प्रतिशत तक फसल का नुकसान हो गया है। गुलाबी सुंडी रुई की गुणवत्ता कमजोर हुई, वहीं उत्पादन में भी भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। नतीजा किसानों को और ज्यादा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। गुणवत्ता का काट लगने से दो से चार सौ रुपये प्रति क्विंटल रेट कम लगेगा।
अब पीले सोने पर नेक ब्लॉस्ट का प्रकोप
अब किसानों के पीले सोने यानि बासमती पर नेक ब्लास्ट ने प्रकोप दिखाना शुरु कर दिया है। धान में घुंडी मरोड यानि नेक ब्लास्ट से मुच्छल बासमती की फसल खत्म होने की कगार पर है। जिन खेतों में यह बीमारी ने अपने पैर पसारे हैं वहां आधे से ज्यादा नुकसान हो रहा है। इसलिए सभी किसान भाई अपने-अपने खेतोंं की संभाल रखें और दिन मेंं 2-3 बार निरिक्षण अवश्य करें। किसान फसल को बचाने के लिए मंहगी से मंहगी स्प्रे कर रहे हैं लेकिन स्प्रे भी कोई असर नहीं दिखा रही है। कुछ किसानों ने तो अब इसे अपने हाल पर ही छोड़ दिया है।
बाली की शुरुआत में लगता है यह रोग
किसानों ने बताया कि यह रोग बासमती के बाली की शुरुआत में लगता है। यह बाली का पौधे से कनैक्शन खत्म कर देता है, जिससे बाली में दाने नहीं भरते और थोथ ही रह जाती है। वहीं बालियां काली होने लग जाती हैं। अनेक स्प्रे करने के बावजूद इस पर ज्यादा असर दिखाई नहीं दे रहा है। रेट के बाद अब किसानों को नेक ब्लास्ट से मार पड़ रही है। जिससे किसानों को मोटा नुकसान होने की आंशका है। मंहगी दवाओं के बाद उत्पादन कम हो रहा है। किसानों का कहना है कि कृ षि संबंधी यूरिया, डीएपी, कीटनाशकों समेत सभी वस्तुओं के रेट तो हर तीन-चार माह में बढ़ जाते है, पर फसल के रेट दो वर्ष से कम होते जा रहे है।
क्या कहते हैं कृषि विशेषज्ञ
कृषि विशेषज्ञों को कहना है कि यह धान में काफी नुकसान पंहुचाता है। बासमती पर बैक्टीरिया व फंगस अपने पांव पसारने शुरु कर देते हैं। इस बार मौसम में ज्यादा तबदीलियों की वजह से भी यह रोग ज्यादा देखा जा रहा है। यह सीधा बालियां व दानों को इफैक्ट करता है। किसानों को अंधाधुंध कीटनाशकों से बचाना चाहिए। रसायनों से पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है और बीमारी के कीटाणुओं की क्षमता बढ़ जाती है। बीमारी आने से पहले से ही रसायनों की बजाय जैव उत्पाद अपनाएं। अगर कहीं समस्या लगे या आने का अंदेशा हो तो अनुमोदित व सही मात्रा में रसायनों का प्रयोग करें। अब किसानों को मैक्स फ्लैश, बी.केयर या डायमंड के साथ ट्राईसाईकलाजोल का अनुमोदित मात्रा में स्प्रे करें और समय-समय पर खेत का निरीक्षण करें।