राजस्थान सीमा से सटा एक ऐतिहासिक गांव, संत गुसाई ने बसाया गुसाईआना, जो आज भी संतों के नाम से जाना जाता है

राजस्थान सीमा से सटा एक ऐतिहासिक गांव, संत गुसाई ने बसाया गुसाईआना, जो आज भी संतों के नाम से जाना जाता है
सिरसा, चौपटा । 12 अगस्त (संदीप) खंड का गांव गुसाईआना राजस्थान के सीमा से सटा एक ऐतिहासिक गांव है, जिसे 400 साल पहले संत गुसाई ने बसाया था। इस गांव की नींव संत गुसाई महाराज ने रखी थी और यहां के लोग धार्मिकता, प्रकृति प्रेम, आपसी सौहार्द व पशु पक्षियों से अधिक प्रेम रखते है। इस गांव में शाकाहारी और प्रेमी लोगों वास। इसकी जानकारी देते हुए अमीत कुमार माली ने बताया कि गांव गुसाईआना सिरसा जिले से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिसकी करीब 3400 के करीब है, जिसमें से 1800 से ज्यादा अधिक वोटर हैं। अमीत ने बताया कि गांव में 36 बिरादरी के लोग आपस में प्रेम भाव से मिलजुल कर रहते हैं और आपसी सौहार्द और भाईचारा खूब है।
गांव के लोग शाकाहारी हैं और प्रकृति प्रेमी हैं।
वहीं जानकारी देते हुए कुलदीप चालिया ने बताया कि गांव में संत गुसाई जी का मंदिर सबसे प्राचीन मंदिर है और यहां पर महीने की चतुर्थी को मेला भी लगता है। इस गांव को 400 साल पहले संत गुसाई ने यहां आकर गांव को बसाया था। संत गुसाई जी के नाम पर ही हमारे गांव का नाम गुसाईआना रखा गया था।
गांव की सौंदर्यता
गांव गुसाईआना के संदीप खालिया ने बताया कि गांव गोसाईआना अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए जाना जाता है। यहां के लोग प्राकृतिक वातावरण के साथ गांव की सुंदर वन्य जीवन का आनंद लेते हैं। उन्होने बताया की गांव के अधिकतर लोग खेती पर निर्भर है। खेती के साथ साथ ग्रामीण पशुपालन व गांव पूर्ण रूप से धार्मिक होने के चलते गांव में लोग पशु-पक्षियों व वन्यजीवों से अधिक प्रेम रखते है।
संगठन और समाज
गांव गुसाईआना में लगभग 36 बिरादरियां रहती हैं और वे आपस में मिलजुलकर रहते हैं। जिसमें खोड, माली, भारी, खालिया, बैनीवाल, बिश्नोई गोत्र के लोग अधिक रहते है। गांव में आपसी सौहार्द और भाईचारे के लिए प्रसिद्ध हैं। गांव के सभी लोग सामूहिक रूप से गांव के विकास में सहयोग करते हैं और इसलिए गांव एक समृद्ध और समरस्त समाज के रूप में जाना जाता है।
गांव के सामाजिक संस्थान
गांव गुसाईआना में कई प्रमुख सामाजिक संस्थान हैं, जो सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। यहां के लोग आपसी मिलन जुलन को बढ़ावा देने के लिए भी विभिन्न समारोह आयोजित करते हैं, जो गांव के एकता और समरस्त के संकेत के रूप में काम करते हैं। लेकिन गांव में सिर्फ 8वीं तक सरकारी स्कूल है उसके बाद में विद्यार्थियों को पढाई के लिए पड़ोसी गांव रामपुरा ढिल्लों में जाना पड़ता है। लड़कियों को अपनी पढाई जारी रखने के लिए काफि महन्नत करनी पड़ती है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि गांव में 12 वीं तक स्कूल को अपग्रेड कर दिया जाए तो बच्चों को पढाई करने में अधिक लाभ मिल सकता है।
गांव में मुख्य समस्या
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सबसे बड़ी समस्या स्कूल की है जो कि 8वीं तक है उसे अपग्रेड कर 12वीं तक किया जाए। गांव के चारों तरफ कच्ची फिरनी है जिसे पक्का करवाया जाए। गांव में बस सुविधा न के बराबर है गांव में बस सुविधा दी जाए ताकि ग्रामीणों को सिरसा शहर तक आने जाने में परेशानी न हो। खेल स्टेडियम व एटीएम मशीन भी नही है।